फीफा वर्ल्ड कप में हार के बावजूद क्रोएशिया की राष्ट्रपति ने जीत लिया सबका दिल, कुछ ऐसे
फीफा वर्ल्ड कप के फाइनल मैच में भले ही क्रोएशिया की टीम को फ्रांस के हाथों हार मिली हो, लेकिन इसके बाद भी वहां की राष्ट्रपति कोलिंदा ग्रेबर किदारोविच मैदान में लोगों का दिल जीतने में कामयाब रही। विश्वकप में आए क्रोएशिया टीम के फैन्स की सबसे अधिक निगाहें कोलिंदा ग्रेबर पर थी। फीफा के फाइनल मैच को देखने के लिए ग्रेबर दर्शकों से भरे स्टेडियम में एक सामान्य फैंन की तरह ही मौजूद थीं। इस दौरान उन्हें वहां पर क्रोएशिया की टीम का उत्साह बढ़ाते सभी ने देखा।
ग्रेबर किदारोविच ने क्रोएशिया का कोई भी मैच मिस नहीं किया। वर्ल्ड कप में अपनी टीम को चियर करने के लिए एक जुलाई को ही प्लेन के इकोनॉमी क्लास में सफर कर के रूस पहुंच गई थी। वो विश्वकप के फाइनल तक लगातार दर्शकों के बीच बैठकर अपनी टीम की हौसला बढ़ाती रहीं। हारने के बाद भी उन्होंने क्रोएशियाई खिलाड़ियों को गले लगाकर प्रोत्साहित कर दिलासा दिया।
कोलिंदा ग्रेबर का जीवन -
कोलिंदा ग्रेबर किदारोविच का जन्म 29 अप्रैल 1968 को क्रोएशिया के युगोस्लाविया इलाके में हुआ था। कोलिंदा ने इंग्लिश और स्पेनिश लिटरेचर में ग्रेजुएट और इंटरनेशनल रिलेशन में पोस्टग्रेजुएट हैं। उन्होंने दुनिया के टॉप संस्थानों में शुमार जॉर्ज वॉशिंगटन, हार्वर्ड और जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सटी में पढ़ाई की। इसके अलावा उन्होंने क्रोएशिया से तीन वर्ष पहले अपनी डॉक्ट्रेट भी पूरी की है। 1996 में ग्रेबर की शादी जाकोव किट्रोविक के साथ हुई थी। उनके फिलहाल दो बच्चे हैं- एक बेटा और बेटी। उनकी बेटी कटरीना स्केट्स की जूनियर नेशनल चैंपियन है और बेटे को जन्म उन्होंने 2003 में दिया जिसका नाम लूका रखा है।
कोलिंदा ग्रेबर की खासियत-
आपको बता दें कि ग्रेबर क्रोएशियन लैंग्वेज के साथ-साथ और 8 भाषाऐं भी जानती हैं। जिसमें स्पेनिश, पुर्तगाली,अंग्रेज़ी,जर्मन, फ्रेंच, डेनिश और इतालवी शामिल हैं। वे रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और फ्रेंच राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से उन्हीं की भाषा में बात करती हैं।
क्रोएशिया की राष्ट्रपति कोलिंदा ग्रेबर आर्मी कमांडो रह चुकी हैं। उन्होंने अपनी पढाई हार्वर्ड युनिवर्सिटी से पूरी की है। एक बेहतरीन निशानेबाज होने के साथ ही उनको का ज्ञान भी है। 2015 में वे क्रोएशिया की पहली महिला राष्ट्रपति बनकर इतिहास रच दिया था। 1993 में क्रोएशिशन डेमोक्रेटिक यूनियन में शामिल होने के बाद से ही वह कई अहम पदों पर काम कर चुकी हैं। वह क्रोएशिया के विदेश मंत्रालय में एडवाइजर की भी भूमिका निभा चुकी हैं।
अफगानिस्तान में नाटो सैनिकों की हौसलाअफजाई भी की -
कोलिंदा 2007 से 2011 तक अमेरिका में क्रोएशिया की राजदूत थीं। वे पहली महिला थीं जो पब्लिक डिप्लोमेसी के लिए नॉटो की असिस्टेंट सेक्रेटरी जनरल बनीं थी। इस पोस्ट पर रहते हुए उन्होंने कई बार नाटो सैनिकों का हौसला बढ़ाया है। जिसके लिए वो अफगानिस्तान जाया करती थीं। नाटो सर्कल में उन्हें SWAMBO (जिसकी बात सभी मानते हैं) कहा जाता था। जॉर्ज डब्ल्यू बुश और बराक ओबामा जैसे महान व्यक्ति भी उनके काम, अनुशासन और समर्पण की तारीफ कर चुके हैं।
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